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अमर शहीद प्रफुल्ल चंद चाकी !
२ मई १९०८ की सुबह रेलवे के उस पुलिया पर दोनों और से दना दन गोलियाँ चल रही थी.जो लोग उस समय वंहा रेलवे स्टेशन पर अपने गाड़ियो का इन्तजार कर रहे थे उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था लोग जन्हा जगह मिली वही छुप गए.लगभग २:३० घंटा गोलियों की गूंज…
मगही कवि भाई बालेश्वर!
मगही कवि भाई बालेश्वर
सामंतवादी माहौल ने एक रिक्शा चालक को कवि बना दिया.जिला स्तर पर ही सही ,लेकिन उनकी एक पहचान है .बाढ़ कोर्ट में एडवोकेट लिपिक (ताईद) के रूप में कार्यरत भाई बालेश्वर की पहचान एक मगही कवि के रूप में ज्यादा है.
विद्रोही तेवर…
राम सागर सिंह!
राम सागर सिंह:-आपका जन्म बिहार की पावन धरती मोकामा सकरवार टोला में हुआ.आप बचपन से ही पढाई और खेल में चतुर थे. आप अपने मेहनत के दम पर आम से खास हो गए.विट्ठल माल्या की अपने देख रेख में बनवाई गई मेक्दोवेल मोकामा में आप जेनेरल मेनेजर…
लाल मोकामा के नाज़ है जिनपर !
मोकामा समूह के सभी सदस्यों को प्यार भरा नमस्कार .आज आप सब से एक सहयोग चाहता हूँ.जैसा की हम सब जानते है मोकामा ऑनलाइन वेबसाइट के रूप मैं लगभग २ साल का सफर तय कर चूका है.आप सब का सहयोग और प्यार ही इसे इस मुकाम लाया है .जब हम लोगों ने इसे…
स्मिता कुमारी !
स्मिता कुमारी :- आप का जन्म बिहार के पटना जिले के मोकामा में हुआ.बचपन से ही खेल के प्रति आपका रुझान ही आपको खेल के महा कुम्भ तक ले कर गया.आपने महिला कब्बडी को एक नया आयाम दिया है. आपके नेतृत्व में भारतीय महिला कब्बडी टीम ने १० दक्षिण एशियन…
डॉ जनार्दन प्रसाद सिंह(जानो दा)!
डॉ जनार्दन प्रसाद सिंह(जानो दा):- २० अगस्त १९३५ की रात बिहार के पटना जिले की मोकामा सकरवार टोला की पावन भूमि पर श्री महावीर सिंह के घर में इनका जन्म हुआ था. आपका उन्नत ललाट ,चेहरे का तेज बचपन से ही आपको भीड़ से अलग दिखाता था . माता…
डॉ बैद्यनाथ शर्मा (बच्चा बाबु)!
आइये आज जाने मोकामा के उस लाल को जिसने अपनी लेखनी के बल पर मोकामा का नाम रौशन किया.
डॉ बैद्यनाथ शर्मा का जन्म दिनांक २७ अगस्त १९३६ को मगध साम्राज्य की गौरवशाली धरती पटना जिले के मोकामा सकरवार टोला में हुआ . गंगा(नदी) से बेहद लगाव था…
रमेश नीलकमल!
आइये आज जाने मोकामा के उस लाल को जिसने अपनी लेखनी के बल पर मोकामा का नाम रौशन किया.
21 नवम्बर, 1937 को जनमे, पले-बढ़े बिहार, पटना, मोकामा के ‘रामपुर डुमरा’ गाँव में। पढ़े गाँव में, बड़हिया में, कोलकाता में बी.ए. तक। फिर पटना से बी.एल. एवं…
मालपुर ने भरी हुंकार, बनाई समानांतर सरकार!
मोकामा (एसएनबी)। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सशस्त्र संघर्ष से भी गुरेज नहीं करने वाले क्रांति केन्द्रों की सूची में मोकामा टाल इलाके के एक गांव का योगदान वाकई अविस्मरणीय है।घोसवरी प्रखंड के मालपुर गांव के लोगों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ…
मिट रही पहचान, नहीं मिलते कद्रदान!
भारतीय मूर्ति कला पूरे विश्व में अद्वितीय मानी जाती थी है, और रहेगी भी। आज भी इसकी उतनी ही मांग है जितनी पहले थी। पर भारतीय कला को जीवंत रखने वाले कलाकारों को भर पेट दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है। आज अपने ही घर में कला के रखवाले…