आनंद शंकर!
आपकी भगवान में गहरी आस्था है आप हमेसा तुलसीदास का दोहा ‘सुर नर मुनि सब के यह रीति, स्वार्थ लागि करहि सब प्रीति’ सुनते रहते है . आप कहते है कि इसमें भगवान नहीं हैं। भगवान बिना स्वार्थ के सबका कल्याण करते हैं। धरती पर मां भगवान का रूप है.
सभी धर्म मानवतावादी:-आप कहते है की कि इस्लाम में पांच मूल तत्व हैं। रोजा, नमाज, जकात, खैरात और हज। जकात और खैरात का मतलब होता है, अपनी संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा गरीब, लाचार और बेसहारा लोगों के बीच खर्च करना। हिन्दू धर्म में भी इसी प्रकार न्यायोपार्जित आमदनी का दस फीसदी गरीब और लाचार पर खर्च करने की आज्ञा है। सिख और इसाई धर्म में भी ऐसी ही आज्ञा दी गई है। “यदि हम भगवान, अल्लाह, वाहे गुरू, क्राइस्ट की इस आज्ञा को मानें तो नक्सलवाद की जड़ें यू ही समाप्त हो सकती हैं.”
आपके इन्ही सभी गुणों के कारन आपको फिर एक बार एक नई चुनौती मिली है ,आपको झारखण्ड के राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद का सलाहकार नियुक्त किया गया है . आज आपके कारन बौद्धिक चेतना और समरसता की जननी रह चुकी मोकामा की धरती को एक और गौरव हासिल हुआ है. राज्यपाल के सलाहकार के रूप में रहकर आप विषमताओं से भरे झारखंड के विकास में अपना योगदान करेंगें. डीजीपी के पद पर रहते हुए भी आपने मोकामा को गौरव दिलवया. वहीं अब राज्यपाल के सलाकार जैसे महत्वपूर्ण पद पाने के लिए मोकामावासी इस गौरव से खासे आह्लादित हैं.
हमें आप पर नाज है .आपने मोकामा का गौरव बढाया है .