चाचा भतीजा से जीजा साला तक पहुँची लोजपा

चाचा भतीजा से जीजा साला तक पहुँची लोजपा। (LJP reached from uncle-nephew to brother-in-law)

बिहार।पटना।मोकामा। चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras)और भतीजा चिराग पासवान (Chirag Paswan)की आपसी खींचतान ने लोजपा को तोड़ दिया। NDA ने चिराग पर भरोषा जताया और पशुपति पारस को बाहर का रास्ता दिखाया।अब चिराग ने अपने जीजा अरुण भारती को पार्टी में शामिल किया है और उन्हें जमुई से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (Lok Janshakti Party (Ram Vilas)) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार की हाजीपुर लोकसभा (Hajipur Lok Sabha)सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। आज दिल्ली में लोजपा (रामविलास) की संसदीय बोर्ड की बैठक आयोजित की गई । हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का चिराग पासवान का निर्णय उनके नेतृत्व में विश्वास और बिहार के लोगों से जुड़ने की क्षमता को दर्शाता है। (LJP reached from uncle-nephew to brother-in-law)

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LJP reached from uncle-nephew to brother-in-law
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जुमई से चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती और समस्तीपुर से संजय पासवान को उम्मीदवार बनाया जा सकता है(Chirag Paswan’s brother-in-law Arun Bharti can be made candidate from Jumai and Sanjay Paswan from Samastipur.)

अन्य सीटों के लिए अरुण भारती (Arun Bharti)और संजय पासवान (Sanjay Paswan)जैसे उम्मीदवारों को रणनीतिक रूप से चुनकर, एलजेपी (रामविलास) का लक्ष्य राज्य में अपनी उपस्थिति मजबूत करना और आगामी चुनावों में एक मजबूत स्थिति हासिल करना है। जुमई से चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती और समस्तीपुर से संजय पासवान को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। जबकि वैशाली और खगड़िया सीट के लिए प्रत्याशी पर चर्चा के बाद कोई फैसला किया जाएगा।वैशाली और खगड़िया सीटों के लिए उम्मीदवारों पर पार्टी द्वारा सावधानीपूर्वक विचार करना मजबूत दावेदारों को मैदान में उतारने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो उन निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों के हितों का प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। कुल मिलाकर, ये फैसले बिहार में आगामी चुनावों के प्रति एलजेपी (रामविलास) के रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। (LJP reached from uncle-nephew to brother-in-law)

चिराग पासवान का यह फैसला बताता है कि वह पार्टी के भीतर वफादारी और एकता को प्राथमिकता दे रहे हैं।(This decision of Chirag Paswan shows that he is giving priority to loyalty and unity within the party.)

वीणा देवी और महबूब अली कैसर को टिकट नहीं देने का चिराग पासवान का यह फैसला बताता है कि वह पार्टी के भीतर वफादारी और एकता को प्राथमिकता दे रहे हैं। विभाजन के दौरान पशुपति पारस का समर्थन करने वालों को बाहर करके, चिराग एक मजबूत संदेश भेज रहे हैं कि वह उनके और पार्टी के प्रति वफादारी को सबसे ऊपर महत्व देते हैं। यह कदम पार्टी पर उनके नियंत्रण को मजबूत करने और भविष्य में और विभाजन को रोकने में मदद कर सकता है। अंततः, यह निर्णय एक राजनीतिक दल के भीतर एकता और एकजुटता बनाए रखने की चुनौतियों पर विजयी होने का प्रतीक है। (LJP reached from uncle-nephew to brother-in-law)

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