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सात साथियों के शहादत के बाद भी रामकृष्ण सिंह ने सचिवालय पर झंडा फहराया था
सात साथियों के शहादत के बाद भी रामकृष्ण सिंह ने सचिवालय पर झंडा फहराया था ( Ramakrishna Singh hoisted the flag even after the martyrdom of seven companions)
आज सचिवालय पटना में साथ शहीद का स्मारक पटना के गौरव को बढ़ता है.बिहार के!-->!-->!-->…
स्व.पं. साधू शरण शर्मा ,खूब लड़े अंग्रेजो से
15 अगस्त आने को है.अगस्त का महिना भारत के इतिहास का सबसे सुखद और दुखद महीना माना जाता है.क्योंकि इसी महीने भारत आजाद हुआ मगर इसके टुकड़े हो गये.आइये जानते है इस महीने मोकामा के कुछ स्वतंत्रता सेनानी को जिनके बिना मोकामा का सुनहरा इतिहास…
एक था कीसा!
एक था कीसा;- कीसा मतलब कृष्ण सा ..थोरा नटखट थोरा शर्मीला,वैसे तो उसका पूरा नाम कृष्णकांत शर्मा था पर उसके कर्मों के कारन लोग उसे किसान सिंह तो कोई एम्बुलेंस बुलाता था मगर वो कीसा के नाम से ही जाना जाता था, जैसे भगवान कृष्ण ने लोगो को आपदा…
अर्जुन सिंह: एक जीवित किंवदंती/Arjun Singh: A Living Legend
मोकामा के शेरपुर गांव में आपका जन्म हुआ। जीवन के नौ दशक देख चुके श्री अर्जुन सिंह ने बिहार सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी और वर्ष 1983 में इंजीनियर इन चीफ के रूप में सर्वोच्च पद से रिटायर हुए। उनके सेवा…
एक था कीसा!
एक था कीसा;- कीसा मतलब कृष्ण सा ..थोरा नटखट थोरा शर्मीला,वैसे तो उसका पूरा नाम कृष्णकांत शर्मा था पर उसके कर्मों के कारन लोग उसे किसान सिंह तो कोई एम्बुलेंस बुलाता था मगर वो कीसा के नाम से ही जाना जाता था, जैसे भगवान कृष्ण ने लोगो को आपदा…
स्व: श्री राम नन्दन सिंह(धरित्री )
स्व: श्री राम नन्दन सिंह ,एक इंसान जो जबतक जिया उसकी समाज को बेहतर बनाने की ललक हमेशा जवान रही.साधारण कद काठीमगर आकर्षक वक्तितव आपकी खासियत थी .जिधर से आप गुजर जाते थे. परनाम सर परनाम सर कहने वालो की कतार सी लग जाती थी.उनसे बड़े आयु के लोग…
आचार्य राजेंद्र प्रसाद सिंह!
आचार्य राजेंद्र प्रसाद सिंह:-मोकामा से २ किलोमीटर दूर पंचमहला गावं में एक किसान के घर 04 मई 1941 को एक बालक का जन्म हुआ.बचपन से ही पढने में महारत हासिल.जब भी देखो वो किताबों की दुनिया में खोया रहता .माँ बाप ने बड़े प्यार से नाम रखा राजेंद्र…
डॉ. मंजय कश्यप…होनहार विरवान के होत चिकने पात!
डॉ. मंजय कश्यप...होनहार विरवान के होत चिकने पात , यह कथन अक्षरश सही होती है डॉ. मंजय कश्यप जी पर,अपने वल्य्काल से ही अपने मित्रों के बीच एक गायक के रूप में मशहूर रहे थे,भोजपुरी मैथिलि मगही आदि गीतों को लिखना और गाना उनके जीवन का अभिन्न अंग…
श्री चंद्रशेखर प्रसाद सिंह उर्फ़ चंद्रशेखर बाबू!
धारित्री में आज जानेंगे मोकामा के वीर सपूत श्री चंद्रशेखर प्रसाद सिंह उर्फ़ चंद्रशेखर बाबू को
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं
चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं
चाह नहीं सम्राटों के सिर पर हे हरि ! डाला जाऊं
चाह…
आनंद शंकर!
१ मार्च १९५० का दिन मोकामा के मोलदियार टोला के एक मध्यमवर्गीय परिवार मैं किलकारियां गूंजी एक बालक का जन्म हुआ.माता पिता सहित पुरे मोहेल्ले ने पुत्र होने की ख़ुशी मैं मंगल गीत गाये.लड़के को देखने भर से दिल मैं खुशी और आनंद का आभास होता…