बिहार।पटना।मोकामा।कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास रहे गिरिराज सिंह और अश्वनी चौबे का विरोध अब शुरू हो गया है।सबसे ताज्जुब की बात यह है कि यह विरोध खुद भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है ।बक्सर में अश्वनी चौबे तो बेगूसराय में गिरिराज सिंह को भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया विरोध दिखाया काला झंडा।पार्टी के भीतर से हो रहा यह विरोध बीजेपी कार्यकर्ताओं में इन नेताओं के प्रति बढ़ते असंतोष का साफ संकेत है. यह उनकी नेतृत्व शैली, निर्णयों और समग्र प्रदर्शन पर सवाल उठाता है। यह तथ्य कि वे कभी प्रधानमंत्री मोदी के करीबी थे, इस असहमति को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
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उनकी अपनी ही पार्टी के सदस्यों द्वारा उन्हें दिखाए जा रहे काले झंडे अस्वीकृति और असंतोष का एक मजबूत संदेश का प्रतीक हैं। इससे पता चलता है कि ये नेता जमीनी स्तर से संपर्क खो चुके हैं और अपने मतदाताओं के हितों का प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं।यह देखना दिलचस्प होगा कि गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे अपनी ही पार्टी के भीतर हो रहे इस विरोध पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। क्या वे अपने साथी भाजपा कार्यकर्ताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाएंगे या वे और अधिक अलगाव का जोखिम उठाते हुए अपने मौजूदा रास्ते पर चलते रहेंगे? केवल समय ही बताएगा कि यह आंतरिक असंतोष लंबे समय में उनके राजनीतिक करियर पर क्या प्रभाव डालेगा। (Opposition to Giriraj Singh and Ashwani Choubey were Modi’s main focus)
गिरिराज सिंह वापस जाओ और गिरिराज सिंह मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए लोगों ने विरोध किया। एनएच 28 पर रानी गांव के पास गिरिराज सिंह के काफिले को रोककर खड़े हो गए। विरोध करने वालों ने एक हाथ में काला झंडा और दूसरे हाथ में बीजेपी का झंडा लिया हुआ था। उन्होंने गिरिराज सिंह वापस जाओ के नारे भी लगाए। प्रदर्शनकारी गिरिराज सिंह को अपनी आवाज़ सुनाना चाहते थे। उनके काफिले को रोककर और उनके खिलाफ नारे लगाकर वे स्पष्ट संदेश दे रहे थे कि वे उनका या उनकी नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं। काले झंडे और भाजपा के झंडे दोनों की मौजूदगी यह संकेत दे रही है सत्ताधारी पार्टी से उनका कोई विरोध नहीं है बल्कि सांसद गिरिराज सिंह से उनका मोहभंग हो चूका है। यह विरोध उन राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ जमीनी स्तर की सक्रियता और प्रतिरोध का एक शक्तिशाली प्रदर्शन था, जिनके दिल में लोगों के सर्वोत्तम हित नहीं हैं। (Opposition to Giriraj Singh and Ashwani Choubey were Modi’s main focus)
अश्विनी चौबे के उस बयान का विरोध किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने विरोध करने वालों को मिट्टी में मिल जाने की बात कही थी। कोरान सराय पंचायत के दखिनांव के रहने वाले संतोष दूबे ने सोशल मीडिया पर भी अश्विनी चौबे का विरोध किया है। उनका कहना है कि सांसद ने बक्सर संसदीय क्षेत्र में कोई भी काम नहीं किया है।संतोष दुबे की अश्विनी चौबे की आलोचना, बक्सर संसदीय क्षेत्र के कई निवासियों द्वारा महसूस की गई हताशा और निराशा को उजागर करती है। साफ़ है कि क्षेत्र में प्रगति और विकास की कमी को लेकर असंतोष बढ़ रहा है और लोग अब इस पर चुप रहने को तैयार नहीं हैं। अश्विनी चौबे जैसे राजनेताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे धमकियों और धमकी का सहारा लेने के बजाय अपने मतदाताओं की चिंताओं को सुनें और उन्हें संबोधित करने की दिशा में काम करें। केवल खुले संवाद और रचनात्मक जुड़ाव के माध्यम से ही बक्सर और अन्य हाशिये पर रहने वाले समुदायों में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है। (Opposition to Giriraj Singh and Ashwani Choubey were Modi’s main focus)
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