बिहार की लोकनृत्य,संगीत को पुनर्जीवित करने का शुरू हुआ प्रयास
बिहार की लोकनृत्य,संगीत को पुनर्जीवित करने का शुरू हुआ प्रयास (Efforts started to revive the folk dance and music of Bihar)
बिहार।पटना।मोकामा।मोकामा हाथिदह के आर्यभट शिक्षण संस्थान में बिहार की पारम्परिक लोकनृत्य,संगीत को पुनर्जीवित करने को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया।मुख्य अतिथि के रूप में रविन्द्र पांडे, विलोचन पांडे और पिंटू जी कलाकारों का मनोबल बढ़ाने पहुचे थे।सभा का संचालन दीपक जी ने किया।इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मोहन ,राहुल,शालू,शालिनी और निकिता ने कई दिनों की मेहनत की।इसके साथ ही नृत्य प्रतियोगिता, गायन प्रतियोगिता, छठ पूजा पर आधारित नाटक का मंचन किया गया।
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रवींद्र पांडे, विलोचन पांडे और पिंटू जी ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई(Ravindra Pandey, Vilochan Pandey and Pintu ji graced the occasion as chief guests)
कार्यक्रम का उद्देश्य पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के पुनरुद्धार के माध्यम से बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना और संरक्षित करना है। आर्यभट्ट शैक्षणिक संस्थान ने इन कला रूपों को पुनर्जीवित करने के महत्व को पहचाना, जो आधुनिकीकरण और बदलती प्राथमिकताओं के कारण धीरे-धीरे लुप्त हो रहे थे। मोकामा हाथिदह का आर्यभट्ट शैक्षणिक संस्थान ने इस आयोजन के माध्यम से प्रतिभाशाली कलाकारों को अपना कौशल दिखाने के लिए एक मंच प्रदान किया।कला और संस्कृति के प्रति गहरी सराहना रखने वाले सम्मानित व्यक्ति, रवींद्र पांडे, विलोचन पांडे और पिंटू जी ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई। उनकी उपस्थिति ने न केवल कार्यक्रम की प्रतिष्ठा बढ़ाई बल्कि भाग लेने वाले कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनी। (Efforts started to revive the folk dance and music of Bihar)
कार्यक्रम की शुरुआत लोक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से हुई(The program started with a captivating folk dance presentation.)
कार्यक्रम की शुरुआत लोक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से हुई। जीवंत वेशभूषा में सजे नर्तक ढोलक और हारमोनियम जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की लयबद्ध धुनों पर खूबसूरती से थिरक रहे थे। दर्शक उनकी ऊर्जावान गतिविधियों और समकालिक कदमों से मंत्रमुग्ध हो गए, जिससे वे उस युग में वापस चले गए जब ये नृत्य रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न अंग थे।नृत्य प्रदर्शन के बाद, एक गायन प्रतियोगिता शुरू हुई, जहां प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने पारंपरिक बिहारी लोक गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी सुरीली आवाज का प्रदर्शन किया। हवा पुरानी यादों से भरी हुई थी क्योंकि इन गीतों में प्रेम, भक्ति और बिहार के लोगों द्वारा सामना किए गए संघर्षों की कहानियों को दर्शाया गया था।दर्शकों को और अधिक आकर्षित करने के लिए छठ पूजा पर आधारित एक मनमोहक नाटक प्रस्तुत किया गया। (Efforts started to revive the folk dance and music of Bihar)
एक अनुभवी आयोजक और पारंपरिक कला के प्रेमी दीपक जी ने सभा के संचालन की जिम्मेदारी संभाली(Deepak ji, an experienced organizer and lover of traditional art, took the responsibility of conducting the gathering)
एक अनुभवी आयोजक और पारंपरिक कला के प्रेमी दीपक जी ने सभा के संचालन की जिम्मेदारी संभाली। उनके मार्गदर्शन और विशेषज्ञता ने सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम के सभी पहलुओं की सावधानीपूर्वक योजना बनाई और क्रियान्वित की गई।मोहन, राहुल, शालू, शालिनी और निकिता उन समर्पित व्यक्तियों में से थे जिन्होंने इस आयोजन के लिए कई दिनों तक अथक परिश्रम किया। (Efforts started to revive the folk dance and music of Bihar)
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