मन्दिर परिसर में गूंजने लगा बाबा परशुराम का भजन।
मन्दिर परिसर में गूंजने लगा बाबा परशुराम का भजन। (Bhajan of Baba Parshuram started resonating in the temple premises)
बिहार।पटना।मोकामा।आज शाम संगीत वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि से वातावरण गूंज उठा, जिससे प्राचीन बाबा परशुराम स्थान मंदिर के भीतर एक दिव्य वातावरण बन गया। दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी पूजा में संगीत के महत्व को पहचानते हुए इन वाद्ययंत्रों को स्थापित करने के लिए एकत्र हुए थे।सभी श्रद्धालुओं ने आपसी सहयोग से बाबा परशुराम के मन्दिर परिसर में लाउडस्पीकर ,एम्प्लीफायर ,माइक आदि इंस्टाल करवाया ।
(Bhajan of Baba Parshuram started resonating in the temple premises)मोकामा ऑनलाइन की वाटस ऐप ग्रुप से जुड़िये और खबरें सीधे अपने मोबाइल फ़ोन में पढ़िए ।
भक्तों का मानना था कि संगीत का बाबा परशुराम से उनके संबंध पर गहरा प्रभाव पड़ा।(Devotees believed that music had a profound effect on their relationship with Baba Parshuram)
जैसे ही मंदिर परिसर में बाबा परशुराम का भजन गूंजा, ऐसा लगा जैसे देवता स्वयं इस नए जुड़ाव से प्रसन्न हैं। बांसुरी, तबला, सितार और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्रों पर गाये बाबा परशुराम के गीतों ने ऐसा शमां बांधा की पूरा मन्दिर परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया ।भक्तों का मानना था कि संगीत का बाबा परशुराम से उनके संबंध पर गहरा प्रभाव पड़ा। ऐसा कहा जाता था कि आत्मा को झकझोर देने वाली धुनों के साथ उनकी दिव्य उपस्थिति को और अधिक तीव्रता से महसूस किया जा सकता था। भजन में बाबा परशुराम की वीरता और बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करते हुए, उनकी पौराणिक कहानियों का वर्णन करते हुए, प्राचीन छंद शामिल थे।बजाए गए प्रत्येक स्वर और गाए गए प्रत्येक शब्द के साथ, भक्तों को भक्ति और श्रद्धा की गहरी भावना महसूस हुई। (Bhajan of Baba Parshuram started resonating in the temple premises)
मोकामा के पूर्वी छोड़ पर अव्स्तिथ बाबा परशुराम का अति प्राचीन मन्दिर है।(There is a very ancient temple of Baba Parshuram situated on the eastern side of Mokama)
मोकामा के पूर्वी छोड़ पर अव्स्तिथ बाबा परशुराम का अति प्राचीन मन्दिर है जिसमें ग्रामीणों की अगाध श्रद्धा है हर सोमवार और गुरूवार को यंहा विशेष पूजा के दौरान हजरों लोग फल फुल दूध और प्रसाद चढाते हैं बाबा परशुराम का मंदिर मोकामा में ग्रामीणों की गहरी आस्था और भक्ति का प्रमाण है। इसकी प्राचीन भवन , जो समय के साथ खराब हो थी अब जीर्णोद्धार के बाद अद्भुत प्रतीत होता है , अपने भीतर सांत्वना और मार्गदर्शन चाहने वालों को दिए गए चमत्कारों और आशीर्वादों की अनगिनत कहानियाँ समेटे हुए हैं।बाबा परशुराम के इस प्राचीन मन्दिर के चरों और चाहरदीवारी का निर्माण करवाया गया ताकि बाबा का यह मन्दिर असमाजिक तत्वों से सुरक्षित रहे । (Bhajan of Baba Parshuram started resonating in the temple premises)
प्रत्येक सोमवार को, मंदिर प्रत्याशा और उत्साह की हवा से जीवंत हो उठता है।(Every Monday, the temple comes alive with an air of anticipation and excitement)
प्रत्येक सोमवार को, मंदिर प्रत्याशा और उत्साह की हवा से जीवंत हो उठता है। जैसे ही भोर होती है, ग्रामीण बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं, उनके दिल आशा और श्रद्धा से भर जाते हैं। घंटियों की आवाज़ हवा में गूंजती है, जो विशेष पूजा समारोह की शुरुआत का संकेत देती है।भक्त अपनी कृतज्ञता और भक्ति के प्रतीक के रूप में प्रसाद लेकर आते हैं। फल, फूल और मिठाई के लिए सावधानीपूर्वक चुने गए, प्रसाद के रूप में बाबा परशुराम की मूर्ति के सामने रखे जाते हैं। जीवंत रंग और सुगंधित सुगंध मंदिर को प्रचुरता और आनंद की भावना से भर देते हैं।पवित्रता और पोषण का प्रतीक दूध, अलंकृत बर्तनों में डाला जाता है। बाबा परशुराम के पवित्र पिंडी पर गिरता है, जो स्वयं भगवान परशुराम को अर्पित की जाने वाली भेंट का प्रतीक है।मोकामा के इस प्रचीन मन्दिर को भव्य और विकसित करने के लिए श्रद्धालु आगे आ रहे हैं आप भी आगे आयें और यथासम्भ दान कर पुन्य का भागी बने। (Bhajan of Baba Parshuram started resonating in the temple premises)
मोकामा ऑनलाइन के इन्स्टाग्राम पर हमसे जुड़िये ।
देश और दुनिया की इस तरह के अन्य खबरों को जानने के लिए मोकामा ऑनलाइन डॉट कॉम के अतिरिक्त हमारे सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक ,ट्विटर ,इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर हमे फॉलो करें।
ये भी पढ़ें:-राम मंदिर के भक्तों के लिए अयोध्या में 10 अवश्य घूमने योग्य स्थान
ये भी पढ़ें:-भारतीय राजनीति में 6 सबसे प्रभावशाली महिलाएं