प्रेरणा-साधारण परिवेश से निकल कर एक डॉक्टर बनने की अंकेश प्रभाकर की कहानी।

प्रेरणा-साधारण परिवेश से निकल कर एक डॉक्टर बनने की अंकेश प्रभाकर की कहानी। (Ankesh Prabhakar’s story of rising from humble background to become a doctor)

बिहार।पटना।मोकामा।नीट यूजी की तैयारी से लेकर एमबीबीएस तक का सफर बेशक चुनौतीपूर्ण है, लेकिन असंभव नहीं है। इसके लिए लगातार कड़ी मेहनत, धैर्य, सकारात्मकता और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ वर्षों में NEET UG में प्रतिस्पर्धा निस्संदेह बढ़ी है, जिससे इच्छुक मेडिकल छात्रों के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान में सीट सुरक्षित करना अधिक कठिन हो गया है। हालाँकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बावजूद, सामान्य परिवारों से आने वाले लोगों के लिए इस परीक्षा का एक सकारात्मक पक्ष भी है।आज के परिदृश्य में, NEET UG सभी उम्मीदवारों को उनकी पृष्ठभूमि या वित्तीय स्थिति की परवाह किए बिना समान अवसर प्रदान करता है। पहले के समय के विपरीत, जब मेडिकल प्रवेश अक्सर पैसे या कनेक्शन जैसे कारकों से प्रभावित होते थे, एनईईटी यूजी ने खेल के मैदान को समतल कर दिया है। यह पूरी तरह से चिकित्सा में करियर बनाने के लिए किसी व्यक्ति के ज्ञान और योग्यता का मूल्यांकन करता है। (Ankesh Prabhakar’s story of rising from humble background to become a doctor)

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Ankesh Prabhakar's story of rising from humble background to become a doctor
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दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से वे छात्रों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। (With determination and hard work they can compete with the students)

सामान्य परिवारों के उम्मीदवारों के लिए जिनके पास महंगे कोचिंग संस्थानों या संसाधनों तक पहुंच नहीं है, एनईईटी यूजी अपनी क्षमता दिखाने का उचित मौका प्रदान करता है। दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से वे छात्रों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। पहले की परीक्षाओं में, छात्र अक्सर उपलब्ध अध्ययन सामग्री और संसाधनों की भारी मात्रा से अभिभूत हो जाते थे। जितना संभव हो उतना पढ़ने का लगातार दबाव था, बाकी किसी चीज़ के लिए बहुत कम समय बचता था। हालाँकि, स्मार्ट अध्ययन तकनीकों के आगमन के साथ, परीक्षा की तैयारी के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है।आजकल, छात्र मुख्य रूप से एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की पाठ्यपुस्तकों पर ध्यान केंद्रित करके प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश सुरक्षित कर सकते हैं। इन पाठ्यपुस्तकों को व्यापक माना जाता है और ये मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए आवश्यक सभी आवश्यक विषयों को कवर करती हैं। इन पाठ्यपुस्तकों में महारत हासिल करने पर अपने प्रयासों को केंद्रित करके, छात्र अपनी अध्ययन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकते हैं और मूल्यवान समय बचा सकते हैं। (Ankesh Prabhakar’s story of rising from humble background to become a doctor)

कई प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रचलित नकारात्मक अंकन प्रणाली पर विचार करना महत्वपूर्ण है। (It is important to consider the negative marking system prevalent in many competitive exams)

इसके अतिरिक्त, कई प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रचलित नकारात्मक अंकन प्रणाली पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इसका मतलब यह है कि गलत उत्तरों के परिणामस्वरूप अंक कट जाते हैं। इसलिए, निरंतर और सकारात्मक रहना सर्वोपरि हो जाता है। छात्रों को प्रश्नों का उत्तर देने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए, अपना उत्तर चुनने से पहले प्रत्येक विकल्प का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए। इससे न केवल त्रुटियों को कम करने में मदद मिलती है बल्कि अच्छा स्कोर करने की संभावना भी बढ़ जाती है।मेडिकल कॉलेज में निरंतर पढ़ाई के साथ-साथ कभी कभी तनाव का भी माहौल होता है और इस दौरान व्यक्तिगत रूप से मुझे अपने ग्रामीण परिवेश में बीते हुए बचपन की जीवनशैली से काफी सहयोग मिला। हमारे गांव का वातावरण हमें हर रूप में शक्तिशाली बनाता है और इसमें डीएवी मोकामा से मिले संस्कारों का भी विशेष योगदान रहा है। (Ankesh Prabhakar’s story of rising from humble background to become a doctor)

पिछले कई वर्षों से अपने मोकामा के दर्जनों होनहारों ने विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिला लिया है। (Dozens of promising students from our Mokama have taken admission in various medical colleges over the years.)

पिछले कई वर्षों से अपने मोकामा के दर्जनों होनहारों ने विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिला लिया है एवं कई सीनियर चिकित्सक बनकर हम जैसों का मार्गदर्शन भी कर रहे हैं। आशा है भविष्य में भी सामूहिक प्रयास से चिकित्सा क्षेत्र में भी मोकामा का दबदबा होगा। मंगलवार दिनांक 08 अगस्त 2023 को Bihar council of medical registration के द्वारा medical practitioner के रूप में मुझे अनंतिम रूप से पंजीकृत किया गया, अब एक वर्ष के इंटर्नशिप के पश्चात् स्थायी पंजीकरण होना है, जिसके बाद समाज की सेवा हेतु स्वतंत्र होंगे। भविष्य की परीक्षाओं हेतु सभी बड़ों का आशीर्वाद एवं अनुजों का प्रेम अपेक्षित है। (Ankesh Prabhakar’s story of rising from humble background to become a doctor)
Ankesh Prabhakar's story of rising from humble background to become a doctor
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