Prafulla Chandra Chaki remembered on his death anniversary
बिहार।पटना।मोकामा। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशा होगा।देश की आजादी के लिए खुशी-खुशी खुद की शहादत देने वाले बलिदानी प्रफुल्ल चन्द्र चाकी (Prafulla Chandra Chaki) के शहादत दिवस पर कल 02 मई को उनके शहादत स्थल मोकामा के शहीद द्वार पर दीपक जलाकर उन्हें याद किया गया । प्रफुल्ल चंद्र चाकी की वीरता और बलिदान को श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ याद किया गया । देश की आजादी के लिए महज 20 वर्ष की आयु में शहीद होने वाले प्रफुल्ल चन्द्र चाकी के प्रति यह देश हमेशा कृतज्ञ रहेगा। कल देर शाम शहीद द्वार पर उनके सम्मान में दीपक जला कर वीर प्रफुल्ल चन्द्र चाकी को याद किया गया । (Prafulla Chandra Chaki remembered on his death anniversary)
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जिस धरा पर अपने प्राणों की आहुति देकर प्रफुल्ल चन्द्र चाकी(Prafulla Chandra Chaki) ने उसे अमर कर दिया वंहा के स्थानीय लोग भले उनकी कुर्बानी को भुला बैठे हैं, मगर बिहार अभिभावक शिक्षक संघ बेगुसराय (Begusarai) के बैनर तले हर साल देश प्रेमियों का एक जत्था बेगुसराय से मोकामा (Mokama)कृतज्ञ तीर्थ यात्रा के रूप में शामिल होता आया है । कल संतोष कुमार ईश्वर ,माले नेता कामरेड चंद्रदेव वर्मा, राजिव कुमार अधिवक्ता, श्रधा , यशदीप , छोटी, मो.गुलफाम, रुपेश ईश्वर ,मुरारी सहित कई देश प्रेमी कृतज्ञ तीर्थ यात्रा के अन्तेर्ग्त मोकामा पहुचे और वीर शहीद प्रफुल चन्द्र चाकी को याद कर उन्हें अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया । (Prafulla Chandra Chaki remembered on his death anniversary)
यह वार्षिक तीर्थयात्रा अमर शहीद प्रफुल्ल चन्द्र चाकी (Prafulla Chandra Chaki) के बलिदान की याद दिलाती है। कृतज्ञ तीर्थ यात्रा के साथी आई श्रद्धा ने बताया कि यह हमारे लिए उनकी स्मृति का सम्मान करने और हमारे राष्ट्र के लिए उनके योगदान के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है। हम बेगुसराय से मोकामा तक की यात्रा में चाकी के देश प्रेम, बलिदान पर विचार करते हैं जिन्होंने हमारी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया । हम प्रफुल्ल चंद्र चाकी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हुए उनके बलिदान को कभी नहीं भूलने की कसम खाते हैं। यह तीर्थयात्रा सिर्फ एक भौतिक यात्रा नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक भी है, क्योंकि हम अपने इतिहास और विरासत से गहराई से जुड़ते हैं। यह हमारे लिए एक समुदाय के रूप में एक साथ आने और हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाले साहस, बलिदान और देशभक्ति के मूल्यों को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का समय है। (Prafulla Chandra Chaki remembered on his death anniversary)
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