The excitement of Shri Sitaram marriage festival is at its peak
बिहार।पटना।मोकामा।आज श्री श्री वृन्दावन दस जी महाराज का आगमन मोकामा हुआ था जिन्होंने आने वाले श्री सीताराम विवाहोत्सव की तैयारियों का जायजा लिया ।इस अवसर पर समिति के हरिओम कुमार गुड्डू, धर्मेन्द्र सुमन, सुजीत कुमार भुट्टू ,चिंटू जी, दिनेश पांडे, अतुल कुमार आदि उपस्तिथ थे और सीताराम विवाह की तैयारी से श्री वृन्दावन दस जी महाराज को अवगत करा रहे थे।ज्ञात हो कि तीन दशक बाद मोकामा के सूर्य नारायण मन्दिर के प्रांगन में 13 दिसम्बर से सीताराम विवाह का आयोजन होने जा रहा है। (The excitement of Shri Sitaram marriage festival is at its peak)
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श्री श्री वृन्दावन दास जी महाराज के सूर्य नारायण मन्दिर पर पहुंचते ही माहौल उत्साह से भर गया। समिति के सदस्य हरिओम कुमार गुड्डु, धर्मेन्द्र सुमन, सुजीत कुमार भुट्टू, चिंटू जी, दिनेश पांडे, अतुल कुमार एवं अन्य लोग भव्य श्रीसीताराम विवाह महोत्सव के आयोजन में अपनी मेहनत एवं समर्पण दिखाने को उत्सुक थे। जैसे ही वे श्री वृन्दावन दास जी महाराज के पास एकत्र हुए, उन्होंने उन्हें तैयारियों के हर विवरण से अवगत कराया। समिति ने यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि यह कार्यक्रम मोकामा वासियों के लिए यादगार रहेगा। सजावट की व्यवस्था से लेकर भोजन और आवास के लिए विभिन्न विक्रेताओं के साथ समन्वय करने तक, उन्होंने त्योहार के हर पहलू की सावधानीपूर्वक योजना बनाई हुई है।श्री वृन्दावन दास जी महाराज ने आयोजकों की बातों को ध्यान से सुना और उनके प्रयासों पर संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने उनके समर्पण की सराहना की और प्रेम, एकता और भक्ति फैलाने में ऐसे त्योहारों के महत्व पर जोर दिया। (The excitement of Shri Sitaram marriage festival is at its peak)
ज्ञात हो कि राम विवाह को विवाह पंचमी के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व रखता है और पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भगवान राम और माता सीता के दिव्य मिलन का स्मरण कराता है, जो आदर्श वैवाहिक संबंध और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। विवाह पंचमी न केवल उनके विवाह का उत्सव है, बल्कि उनके द्वारा अपनाए गए मूल्यों की याद भी दिलाती है। भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम के नाम से जाना जाता है, ने धर्म, सम्मान और कर्तव्य का उदाहरण दिया। अपनी पत्नी सीता के प्रति उनकी अटूट भक्ति और धर्म को बनाए रखने की उनकी प्रतिबद्धता आज भी जोड़ों के लिए प्रेरणा का काम करती है। (The excitement of Shri Sitaram marriage festival is at its peak)
दूसरी ओर, माता सीता पवित्रता, निष्ठा और लचीलेपन का प्रतिनिधित्व करती हैं। भगवान राम के साथ वनवास के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, वह उनके प्रति अपने प्यार और समर्थन में दृढ़ रहीं। अपने पति की धार्मिकता में उनका अटूट विश्वास उनके बंधन की मजबूती का प्रमाण बन गया।विवाह पंचमी पर, भक्त भगवान राम और माता एस को समर्पित मंदिरों में इकट्ठा होते हैं।लोजपा के युवा कार्यकर्ता कन्हैया सिंह ,हरिओम कुमार गुड्डू ,नगर परिषद उपसभापति प्रतिनिधि कन्हैया जी सहित सेकड़ों लोग इस अवसर पर उपस्तिथ थे और हर संभव सहयोग का वादा किया ।आज से लगभग 3 दशक पहले तक मोकामा में भी राम विवाह का भव्य आयोजन होता था।कुछ अपरिहार्य कारणों से यह परम्परा टूट गई। उपस्तिथ समुदाय ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का प्रस्ताव रखा जो मोकामा की समृद्ध विरासत और परंपराओं को प्रदर्शित करेगा। (The excitement of Shri Sitaram marriage festival is at its peak)
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