स्व.पं. साधू शरण शर्मा ,खूब लड़े अंग्रेजो से

15 अगस्त आने को है.अगस्त का महिना भारत के इतिहास का सबसे सुखद और दुखद महीना माना जाता है.क्योंकि इसी महीने भारत आजाद हुआ मगर इसके टुकड़े हो गये.आइये जानते है इस महीने मोकामा के कुछ स्वतंत्रता सेनानी को जिनके बिना मोकामा का सुनहरा इतिहास नहीं लिखा जा सकता .पंडित साधू शरण शर्मा जी को लोग प्यार से या सम्मान से पंडित जी कहकर बुलाते थे । हमलोग उन्हें प्यार से पंडित बाबू कहा करते थे । वो पंडित कहलाने के सच्चे अधिकारी थे । संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे । कर्मकाण्ड के ज्ञाता थे । पुस्तक पढ़ने और कविता लिखने के बहुत ही शौक़ीन थे । राजनीति में भी काफी रूचि थी और राजनितिक पकड़ काफी ऊँची थी । फिर भी कभी भी किसी पद की इच्छा नहीं की । राजनीति में सदा बनने में नहीं बनाने में विश्वास करते थे ।

स्व.पं. साधू शरण शर्मा

इन सारी खूबियों के चलते समाज में काफी प्रतिष्ठित और लोकप्रिय थे । इलाके में होनेवाला कोई भी कार्यक्रम उनके बिना अधूरा था । चाहे वो शादी-विवाह, श्राद्धकर्म, सांस्कृतिक कार्यक्रम या राजनीतिक कार्यक्रम हो उनकी उपस्थिति अनिवार्य होती थी और इन सभी कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर भाग लिया करते थे । रिक्शा का ज़माना था । गाँव का एक रिक्शा उनके लिए स्थायी रूप से आरक्षित रहता था ।सुबह सात बजे रिक्शावाला रिक्शा लेकर बँगला पे आ जाता था और उनकी सवारी चल पड़ती थी । हर दिन कोई ना कोई एक सहयोगी उनके साथ होता था । दिनभर के इलाकाई भ्रमण के उपरान्त शाम को सात बजते-बजते घर वापस आ जाते थे । सामाजिक प्रतिष्ठा और लोकप्रियता के चलते लड़के-लड़कियों की शादी-विवाह कराना, लोगों का राजनितिक पैरवी करना, प्रखंड,थाना, अनुमंडल,जिला में जाकर लोगों की पैरवी करना उनका मुख्य कार्य था । इस तरह वो अपना जीवन समाजसेवा में समर्पित कर रखा था । अपने जीवनकाल में उन्होंने बहुतों महापुरुषों और सामयिक विषयों पर अनेक कविताओं की रचना की । उनके द्वारा अपने परिवार के वंशावली की पद्दानुवाद रचना की गयी है । मुख्य रूप से दो कविता संग्रह (1) किञ्जलकिनि , (2) श्यामलादण्डकम् का प्रकाशन भी करवाया । अपने जीवन के अन्तिमकाल में उन्होंने ” दुर्गा सप्तशती ” का अक्छरशः हिन्दी में पद्दानुवाद किया जिसका प्रकाशन नहीं हो पाया और पाण्डुलिपि सुरक्छित रखी है । गाँव के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है । तिलक पुस्तकालय जो आज जीर्ण-शीर्ण अवश्था में है, मवेशी अस्पताल, विद्द्यालय, बिजली की सुविधा, किसानों के खेती के लिए राजकीय नलकूप अनेक प्रकार की सुविधा उनके द्वारा गाँव में उपलब्ध कराई गई । विशेष रूप से उनके द्वारा रचित एक कविता निचे लिख रहा हूँ जिसमें गाँव, परिवार और वशिष्ठ गोत्र के बारे में उनकी सोंच को पल्लवित करती है.

” पटना जिला,मोकामा थाना के अंतर्गत ग्राम ।
गंगा तटवर्ती है, सुल्तानपुर सही है नाम ।।
इसके पूरब ‘मोर’ ग्राम है, पश्चिम टोलापर है ।
दक्छिन में रेल है, टाल है, और गंगा उत्तर है ।।
छोटा है, छः सौ एकड़ है इसके पास जमीन ।
टाल-बगीचा, रोड-रेलवे की है इसे कमी न ।।
शुक-पिक-कोकिल-काक-कबूतर कलरव प्रतिपल करते ।
गंगा का जल निर्मल-कज्जल कलकल छलछल करते ।।
भिठा, टाल, तरी कहलाती, है जमीन उपजाऊ ।
इसी गाँव में रहे हमारे पूर्वज, दादा-दाऊ ।।
सभी जात के लोग यहाँ पर सबमें मेल-मुहब्बत ।
हैं किसान-मजदुर यहाँ पर उनका ही है बहुमत ।।
हम ब्राह्मण हैं मूल हमारा ‘कंचनवार’ कहाता ।
गोत्र हमारा है ‘वशिष्ठ’, पढ़ने-लिखने से नाता ।।
यजुर्वेद है वेद हमारा हम हैं पढ़ते वेद ।
ईश्वर और जीव में रखते हम न कभी मतभेद ।।
हमलोगों के पास खेत है, हम खेती करते हैं ।
क्रियावान हों हमसब, प्रभु से यह विनती करते हैं ।।
धर्म-कर्म मानते सदा हैं, संस्कृत-हिंदी पढ़ते ।
अंग्रेजी पढ़-लिख कर हुए सुयोग्य नौकरी करते ।।
कर्मठ हैं हम, क्रियावान हैं, निति-नियम में रहते ।
कुलमर्यादा में रहते हम, रत संयम में रहते ।।
घर में रहते, बाहर रहते, जहां कहीं हम रहते ।
अपमानित, लांछित, पदमर्दित, कहीं नहीं हम रहते ।।
हम उन्नतशिर औ हम नतशिर समय-समय पर होते ।
हम विनम्र हम विनत सदा हैं, कुल परम्परा ढोते ।।
मेरे कुल में प्रोफ़ेसर, डॉक्टर और अभियंता ।
शिक्छक, साहित्यिक, पंडित,गायक,नायक औ नेता ।।
राजनीति में जन की सेवा, करते नहीं नए हैं ।
भारत माँ की आजादी के हित हम जेल गए हैं ।।
सत्ता की इस राजनीति से हमको मेल नहीं है ।
ऐसी सेवा में जाने की ठेलम-ठेल नहीं है ।।
कर्मनिष्ठ हम, धर्मनिष्ठ हम, हम वशिष्ठ संतान ।
स्वाध्याय-अध्ययन और अध्यापन सदा प्रधान ।।
हम वशिष्ठ गोत्र के लोग हैं, देव-पितर हम मानें ।
है पहचान यही हमारी, यही परिचय है जानें ।। “

Mokama Online Team

Recent Posts

शांति और सामाजिक समरसता की मिसाल: मोकामा के वार्ड 6 में सादगी भरा दावते इफ्तार आयोजित।

शांति और सामाजिक समरसता की मिसाल: मोकामा के वार्ड 6 में सादगी भरा दावते इफ्तार…

1 month ago

रेलवे संपत्ति पर अवैध कब्ज़े के मामले में RPF की कार्रवाई।

रेलवे संपत्ति पर अवैध कब्ज़े के मामले में RPF की कार्रवाई।(RPF action in case of…

1 month ago

मर्दों का नहीं मुर्दों का शहर है मोकामा-आनंद मुरारी

मर्दों का नहीं मुर्दों का शहर है मोकामा-आनंद मुरारी । (Mokama is a city of…

1 month ago

वार्ड नंबर 12 की उपेक्षित गली का दशकों बाद शुरू हुआ निर्माण: युवाओं के सोशल मीडिया अभियान ने दिखाई राह

वार्ड नंबर 12 की उपेक्षित गली का दशकों बाद शुरू हुआ निर्माण: युवाओं के सोशल…

1 month ago

डॉ बैद्यनाथ शर्मा (बच्चा बाबु)

आइये आज जाने मोकामा के उस लाल को जिसने अपनी लेखनी के बल पर मोकामा…

4 months ago

सत्यम बने मिस्टर बिहार , गौरवान्वित हुआ मोकामा

सत्यम बने मिस्टर बिहार , गौरवान्वित हुआ मोकामा। (Satyam became Mr. Bihar, Mokama became proud)…

4 months ago