Rajiv Gandhi who talked about computers in a country of farmers
बिहार।पटना।मोकामा।21-05-2025। उस सुबह का आँगन अभी अँधेरे में डूबा था। मैं और मेरे दादाजी, सुबह के लगभग 4:30 बजे, “अमौड़ी”(टिकोला ,कच्चे आम का छोटा स्वरूप) चुनने के लिए अपने गाछी (बगीचे) की ओर चले थे । घर से निकलकर जय प्रकाश चौक बाजार,मोकामा तक पहुँचे ही थे कि पूरब से आती हुई एक सिसकती आवाज़ ने हमें रोक दिया। बाँके चा, जिन्हें मैंने शायद ही कभी इतने विह्वल देखा था , मेरे दादा से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगे। उनकी आँखों में एक “अनजाना भय” था—ऐसा लग रहा था मानो आसमान टूट पड़ा हो। दादाजी ने उन्हें संभालते हुए पूछा, “कि होलो, कुछ बोलो ने!”(क्या हुआ कुछ बोलिए) पर बाँके चा के लिए शब्दों की जगह आँसू ही बचे थे।वह अनवरत रोए जा रहे थे । (Rajiv Gandhi who talked about computers in a country of farmers)
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करुणा और हैरानी के बीच झूलते हुए बाँके चा ने बताया—”कल रात मद्रास में राजीव गाँधी की हत्या हो गई!” यह सुनते ही दादाजी के पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई। हम तीनों का समूह, स्तब्ध और शोकाकुल, घर की ओर लौटने पर मजबूर हो गये । बाँके चा का रुदन ऐसा था मानो उनका अपना कोई चला गया हो। अखबार की वह तस्वीर, जिसमें राजीव जी मुस्कुरा रहे थे, अब एक क्रूर विडंबना बन चुकी थी। (Rajiv Gandhi who talked about computers in a country of farmers)
उन दिनों मेरा स्कूल, “मॉडर्न इंग्लिश एकेडमी” (चौक बाजार),मोकामा सुबह की शिफ्ट में चलता था।मैं लगभग 6:30 बजे तक स्कूल पहुँचता था उस जमाने में एक बेहतरीन स्कूल में से उसकी गिनती होती थी । स्व. सीताराम सर और रामजी गोप सर ने इस स्कूल को अपने खून पसीने से सींचा था। प्रार्थना सभा में ही प्रधानाध्यापक सीताराम सर ने घोषणा की—”देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी अब नहीं रहे।” इसके बाद सभी छात्रों और शिक्षकों ने राजीव जी की आत्मा की शांति के लिए मौन रखा और स्कूल तत्काल बंद हो गया। घर लौटते ही माँ ने बताया—”इंदिरा जी के बाद अब राजीव… देश कितनी बार सदमे सहेगा?” टीवी पर बार-बार वही खबर, वही चेहरा… मानो समय थम गया हो। अगले दिन राजीव गांधी के अंतिम संस्कार को टीवी पर प्रसारित किया जा रहा था। टीवी पर 3-4 दिन के लिए सभी तय कार्यक्रम बंद हो गए थे। (Rajiv Gandhi who talked about computers in a country of farmers)
बाद के दिनों में “डायमंड कॉमिक्स” ने राजीव गांधी पर एक कॉमिक्स जारी की जिसके बाद में राजीव गाँधी के बारे में बहुत कुछ जानने लगा। कृष्णदेव सिंह उर्फ़ बब्बन दा के यँहा इंडिया टुडे था या कोई मैगज़ीन याद नहीं परन्तु उसमें राजीव गांधी के जन्म से लेकर मृत्यु तक के आर्टिकल छपे थे। मुझे याद हैं मैंने उनके बंगले पर बैठ कर एक दो घण्टे में ही सारे आर्टिकल पढ़ डाले थे। हर पंक्ति के साथ राजीव जी मेरे लिए “हीरो” बनते गए। माँ ने समझाया—”इंदिरा जी के बाद उन्होंने देश को बिखरने से बचाया। किसानों के देश में कंप्यूटर की बात करने वाले वह पहले नेता थे।” (Rajiv Gandhi who talked about computers in a country of farmers)
समय बीत गया, पर राजीव जी की छवि मेरे मन में और निखरती गई। वह “सदाबहार हीरो” जो मृत्यु को भी मात देकर इतिहास में अमर हो गया। आज 34 साल बाद भी, उनकी पुण्यतिथि पर मेरा बालमन उन्हें नमन करता है—”आपकी दूरदर्शिता और साहस हमें सदैव प्रेरित करेगा।” (Rajiv Gandhi who talked about computers in a country of farmers)
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