People sow paddy on the road in the pit of the road in protest against not making road
बिहार।पटना।मोकामा।सडक गली नहीं बनाये जाने के विरोध में सडक के गड्ढे में लोगों ने बोये धान।पिछले 7 महीने से नगर परिषद मोकामा में नहीं हुआ कोई भी विकाश का काम ।निराश जन प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों संग कीचड़ में बोये धान ।मोकामा बाजार का मुख्य मार्ग गौशाला रोड़ उस समय आकर्षण का केंद्र बन गया जब मोकामा नगर परिषद वार्ड न.12 वार्ड पार्षद हरेकृष्ण जी के नेतृत्व में दर्जनों लोग सडक के गड्ढे में धान बोने लगे ।सड़क पर धान बोते लोगों का दृश्य निराशा और असंतोष का एक शक्तिशाली प्रतीक था। यह समुदाय की सामूहिक आवाज का प्रतिनिधित्व करता है, जो अधिकारियों से ध्यान और कार्रवाई की मांग करता है। सड़क का निर्माण न होने से न केवल स्थानीय निवासियों को असुविधा हो रही है , बल्कि क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां भी बाधित हो रही है।
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जैसे ही विरोध के इस अनूठे रूप के बारे में लोगों को जानकारी मिली लोग जुड़ते चले गए । सडक के बीच में हुए गड्ढे के कीचड़ में धान रोपने वाले दृढ़ संकल्पित व्यक्तियों की तस्वीरें एतिहासिक हो गई जो युगों युगों तक हताश और निराश लोगों का मार्गदर्शन करते रहेगा ।विरोध का यह तरीका भले ही असंवेधानिक प्रतीत होता है परन्तु यह मोकामा के भीतर और बाहर दोनों जगह के लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है ।विरोध सिर्फ जन प्रतिनिधियों तक ही सीमित नहीं था। ग्रामीणों, दुकानदारों और संबंधित नागरिकों ने एकजुट होकर नगर परिषद में विकास कार्यों की कमी पर अपना असंतोष व्यक्त किया। उनके संयुक्त मोर्चे ने सामुदायिक भावना और लचीलेपन की मजबूत भावना का प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान वार्ड पार्षद हरेकृष्ण जी एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं ,इनके साथ वार्ड न. की वार्ड पार्षद उषा देवी ,वार्ड न.24 के पार्षद प्रतिनिधि विवेक कुमार भी धान बोये जाने में साथ साथ थे । अपने मतदाताओं के सामने आने वाले मुद्दों को संबोधित करने के प्रति उनका समर्पण कई लोगों को पसंद आया, जिसने इन वार्ड पार्षद को क्रांति का प्रतीक बना दिया । (People sow paddy on the road in the pit of the road in protest against not making road)
सड़क के गड्ढे में धान बोने का कृत्य लोगों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा मोकामा की गंभीर स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करने का एक हताश प्रयास था। पिछले सात महीने से नगर परिषद में विकास कार्य नहीं होने से पार्षद हताश और निराश थे।अगस्त को क्रांति का महिना भी कहते हैं। भारत की आजादी में अगस्त महीने का बहुत ही खास महत्व है। इसी महीने अगस्त क्रांति हुई थी जिसका देश की आजादी में बहुत योगदान रहा है अगस्त वास्तव में एक ऐसा महीना है जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए बहुत ऐतिहासिक महत्व रखता है। 15 अगस्त, 1947 को भारत को अंततः ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली। इस महत्वपूर्ण घटना ने वर्षों के अथक प्रयासों, बलिदानों और अगस्त महीने के दौरान हुए कई क्रांतिकारी आंदोलनों की परिणति को चिह्नित किया। (People sow paddy on the road in the pit of the road in protest against not making road)
ऐसी ही एक महत्वपूर्ण क्रांति भारत छोड़ो आंदोलन थी, जिसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल समाप्त करने की मांग करना था। “करो या मरो” का आह्वान पूरे देश में गूंज उठा क्योंकि लाखों भारतीयों ने अपने उत्पीड़कों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष किया।भारत छोड़ो आंदोलन में पूरे देश में व्यापक सविनय अवज्ञा, असहयोग और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ हड़तालों, प्रदर्शनों और अवज्ञा कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया। आंदोलन ने विकराल रूप धारण कर लिया ।आज 8 अगस्त 2023 को मोकामा के लोग भी निक्कमे नकारे नेताओं और असक्षम अधिकारीयों के खिलाफ सडक के गड्ढे में धान बोकर अपना विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं। (People sow paddy on the road in the pit of the road in protest against not making road)
पार्षद हरेकृष्ण जी ने कहा कि भगत सिंह कहते थे कि बहरों को सुनाने के लिए एक विस्फोट की आवश्यकता होती है, क्योंकि उनके शब्द अकेले उनका ध्यान खींचने के लिए पर्याप्त नहीं थे।वह बिलकुल सही कहते थे दर्जनों बार आवेदन देने के वावजूद भी विकास कार्यों में अधिकारीयों का रूचि न लेना शर्मनाक है।क्या इसी दिन के लिए भगत सिंह ने अपनी कुर्बानी दी थी हम उनकी कुर्बानी को व्यर्थ न जाने देंगे जिस तरह भगत सिंह ने अंग्रेजों को सबक सिखाया था इन निक्कमे नकारे नेताओं और असक्षम अधिकारीयों को सबक सिखायेंगे ।आज मोकामा के वार्ड न. 2 ,वार्ड न. 4 ,वार्ड न.12 और मोकामा बाज़ार के मुख्य मार्ग गौशाला रोड पर सडक के बीचो बिच बने गड्ढे में निराश जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने बोये धान। (People sow paddy on the road in the pit of the road in protest against not making road)
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