Loknayak Jayaprakash Narayan remembered on his death anniversary
बिहार।पटना।मोकामा।मोकामा के विद्यार्थी हिंदी पुस्तकालय के सभागार में पुण्यतिथि के अवसर पर याद किये गये लोकनायक जयप्रकाश नारायण(Loknayak Jayaprakash Narayan )। सम्पूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण आन्दोलन में भाग लेने वाले और उस समय कारागार में सजा भुगतने वाले सेकड़ों क्रांतिकारी साथी, स्थानीय ग्रामीण और विद्यार्थी इस अवसर पर उपस्तिथ थे ।सभागार का माहौल पुरानी यादों और श्रद्धा से भरा हुआ था क्योंकि लोग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे प्रतीक लोकनायक जयप्रकाश नारायण(Loknayak Jayaprakash Narayan ) को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए थे। यह आयोजन न केवल उनकी पुण्यतिथि का स्मरणोत्सव था, बल्कि सामाजिक न्याय के प्रति उनकी अदम्य भावना और अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक भी था।जैसे ही उपस्थित लोग अपनी सीट पर बैठे, उनके मन में जय प्रकाश नारायण आंदोलन की यादें उमड़ने लगीं। उन्होंने उन दिनों को याद किया जब वे अपने प्रिय नेता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे थे और लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत कर रहे थे। उस दौरान कई लोगों ने कठिनाइयों और बलिदानों को सहन किया था, जिसमें आंदोलन में शामिल होने के लिए कारावास भी शामिल था।
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इन क्रांतिकारी मित्रों, स्थानीय ग्रामीणों और छात्रों की उपस्थिति जयप्रकाश नारायण के आदर्शों के स्थायी प्रभाव का एक प्रमाण थी। उनकी उपस्थिति उस लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है जो उन्होंने अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से उनमें पैदा किया था।कार्यक्रम की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण के तैलचित्र पर श्रध्दा सुमन अर्पित करने से हुई।इन क्रांतिकारी मित्रों ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में जयप्रकाश नारायण द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया। स्वतंत्रता और लोकतंत्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत व्यक्तियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। (Great educationist Anjani Kumar Singh will be remembered on his death anniversary)
जैसे-जैसे वे अपनी चर्चा में गहराई से उतरे, उन्होंने इस बात पर विचार किया कि समय के साथ नारायण का आंदोलन कैसे विकसित हुआ। स्वतंत्रता के लिए प्रारंभिक संघर्ष से, यह नवगठित भारतीय सरकार के भीतर भ्रष्टाचार और सत्तावाद के खिलाफ लड़ाई में बदल गया था।1970 के दशक में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाया गया आपातकाल भारत के इतिहास में एक काला अध्याय था। यही वह समय था जब नारायण का आंदोलन सम्पूर्ण क्रांति में बदल गया, वह दमनकारी शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गए। लोकतंत्र के हित के लिए उनका आह्वान उन लाखों भारतीयों के साथ गूंज उठा जो भ्रष्टाचार से मुक्ति और न्याय के लिए तरस रहे थे। सभागार में उपस्तिथ क्रन्तिकारी मित्रों ने जयप्रकाश नारायण के स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिगत होकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध से लेकर कोंग्रेस सरकार द्वारा देश भर में लगाये गये आपातकाल के खिलफ और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनके द्वारा चलाये गये सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन के माध्यम से देश का नेतृत्व करने तक के सफर को याद किया (Great educationist Anjani Kumar Singh will be remembered on his death anniversary)
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