Lentil harvesting machine ready
बिहार।पटना।मोकामा।मोकामा टाल के किसानो के दिन बहुरने वाले हैं । मोकामा टाल के किसानों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है मसूर की फसल की कटाई । मसूर की फसल की कटाई के लिए मजदूरों पर निर्भर रहना पड़ता है । कई बार मजदूर नहीं मिलने से फसल खेत में ही बर्बाद हो जाता है । मजदूर भी इस कार्य के लिए ज्यादा मजदूरी की मांग करते हैं । अब वैज्ञानिकों ने मसूर फसल की कटाई के लिए एक मशीन का आविस्कर किया है,जिससे मजदूरों पर से निर्भरता खत्म हो जाएगी और मजदूरों की मनमानी भी ।यह क्रांतिकारी मसूर कटाई मशीन मोकामा टाल में किसानों के जीवन को बदलने के लिए तैयार है। इसके शुरू होने से मसूर की फसल की कटाई के लिए मजदूरों पर सदियों पुरानी निर्भरता अतीत की बात हो जाएगी। यह सफल आविष्कार न केवल बढ़ी हुई दक्षता का वादा करता है बल्कि श्रम की कमी के कारण फसल खराब होने के जोखिम को भी समाप्त करता है।
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मसूर की कटाई मशीन को मानव हाथों की गतिविधियों की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो नाजुक फसल की कोमल और सटीक रूप से कटाई सुनिश्चित करती है। उन्नत ब्लेड, क्लिप ,सेंसर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस, यह पकी हुई मसूर की फसल को आसानी से उखड़ कर बोझा बना देगा । यह सुविधा अकेले ही क्षतिग्रस्त या बर्बाद फसलों की संभावना को काफी कम कर देती है।इसके अलावा, यह अत्याधुनिक तकनीक कटाई में अद्वितीय गति और सटीकता प्रदान करती है। मशीन की स्वचालित प्रक्रिया इसे हाथ से काम करने वाले मजदूरों द्वारा लगने वाले समय को बचाएगी। परिणामस्वरूप, किसान अब अपनी मसूर की फसल की तुरंत कटाई कर सकते हैं, अपनी उपज क्षमता को अधिकतम कर सकते हैं और नुकसान को कम कर सकते हैं। (Lentil harvesting machine ready)
डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय ,पूसा,समस्तीपुर के अभियांत्रिकी अनुसंधान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पी.के.प्रणव द्वारा बिहार में दलहनी फसलों की कटाई के लिए इस मशीन का अविष्कार किया है।इस मशीन के आ जाने से मोकामा टाल के लाखों किसानों की समस्या का निदान संभव होगा इस अत्याधुनिक तकनीक ने न केवल दलहनी फसलों की कटाई के तरीके में क्रांति लाएगी , बल्कि मोकामा टाल के किसानों के जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव भी डालेगी।परंपरागत रूप से, बिहार में दलहन फसलों की कटाई एक श्रम-गहन और समय लेने वाली प्रक्रिया थी। किसानों को मसूर और एनी दलहनी फसलों की कटाई के लिए मजदूरों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर कम उत्पादकता और वित्तीय नुकसान होता था। अब इस इस नई मशीन के आगमन के साथ, किसान अब न्यूनतम प्रयास और अधिकतम उत्पादन के साथ कुशलतापूर्वक अपनी फसल काट सकते हैं। (Lentil harvesting machine ready)
डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय ,पूसा,समस्तीपुर के अभियांत्रिकी अनुसंधान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पी.के.प्रणव द्वारा डिज़ाइन की गई मशीन उन्नत सुविधाओं से सुसज्जित है जो फसल को नुकसान को कम करते हुए दलहनी फसल के पौधों को खेतों से आसानी से उखाड़ती है। इसकी अत्याधुनिक तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि केवल पौधों को एकत्र किया जाए, और उसे एक छोटे छोटे बंडल में बांध दिया जाए । इससे न केवल कटी हुई फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है बल्कि उसका बाजार मूल्य भी बढ़ जाता है। (Lentil harvesting machine ready)
कल मोकामा टाल से किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल ने पूसा स्तिथ डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय जाकर मसूर काटने की इस अत्याधुनिक मशीन का निरिक्षण किया ।इस प्रतिनिधि मंडल में राजीव कुमार सिंह, प्रणव शेखर शाही ,चन्दन कुमार सहित आधा दर्जन किसान थे।दलहनी फसलों की कटाई के लिए मशीनों की शुरुआत के साथ, चंदन कुमार जैसे किसान अंततः हाथ से कटाई के दौरान आने वाली चुनौतियों को अलविदा कह सकते हैं। कटाई में देरी से फसलों के पकने और खेत में गिरने की समस्या काफी कम हो जाएगी। इन मशीनों को सही समय पर दालों की कुशलतापूर्वक कटाई करने, न्यूनतम नुकसान और अधिकतम उपज सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। (Lentil harvesting machine ready)
इसके अलावा, मशीनों के उपयोग से श्रम प्रबंधन में क्रांति आ जाएगी। वर्तमान में फसल कटाई का शेड्यूल सुबह जल्दी होने के कारण अक्सर मजदूर मनमानी करते हैं। हालाँकि, मशीनों के इस कार्य को संभालने से, किसानों के पास अपने संचालन पर अधिक नियंत्रण होगा। वे अपनी सुविधा के अनुसार कटाई कार्यक्रम की योजना बना सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रत्येक दलहनी फसल की कटाई उसके चरम परिपक्वता पर की जाए। मशीन से कटाई के लाभ न केवल समय बचाने से कहीं अधिक हैं; इनसे किसानों की लागत में भी पर्याप्त बचत होती है। शारीरिक श्रम न केवल समय लेने वाला है बल्कि महंगा भी है। कुशल मशीनों में निवेश करके, किसान मजदूरों पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं और अपने संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से आवंटित कर सकते हैं। इससे लाभप्रदता बढ़ेगी और किसान अधिक खुशहाल होंगे । (Lentil harvesting machine ready)
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