स्व: श्री राम नन्दन सिंह ,एक इंसान जो जबतक जिया उसकी समाज को बेहतर बनाने की ललक हमेशा जवान रही.साधारण कद काठीमगर आकर्षक वक्तितव आपकी खासियत थी .जिधर से आप गुजर जाते थे. परनाम सर परनाम सर कहने वालो की कतार सी लग जाती थी.उनसे बड़े आयु के लोग भी उन्हें परनाम सर ही कहा करते थे .आप पेशे से शिक्षक थे, अपने अध्यापन काल में आपने सिखारिचक मध्य विद्यालय के सैकड़ो विद्यार्थियों के भविष्य का स्वर्णिम निर्माण किया. क्या छोटे क्या बड़े सब को कुछ कुछ अच्छा करने की सलाह देते रहते थे. आप अपने अवकाश तक विद्यालय के विकास और शिक्षा के स्तर को नित प्रति दिन बढ़ाते रहे .आपके अन्दर लोग गाँधी और सुभास दोनों की छवि पाते थे क्योंकि जब आप किसी को समझाते थे तो इतना प्यार की पत्थर भी मोम बन जाये,मगर जब आप किसी से नाराज हो जाते तो उसकी भलाई के लिए ही सही मगर बहुत गुस्सा होते थे. आप अपने विद्यालय से अवकाश लेने के बाद समाज के निकृष्ट बच्चों खास कर छोटी जाती के बच्चों के उज्जवल भविष्य और देश का कर्णधार बनाने हेतु एक प्राथमिक विद्यालय का सृजन किया जिसका नाम रविन्द्र नाथ ठाकुर की याद में “शांति निकेतन “ रखा जो विद्यालय आपकी मृत्यु तक सकरवार टोला में स्व राम विलास सिंह जी (श्याम मार्किट) के दालान पर चलता रहा. इस विद्यालय का उद्धेश्य आर्थिक लाभ न होकर पुर्णतः समाज को समर्पित औररास्टीय प्रेरणाओ से ओत प्रोत था. आप ईमानदारी के मिसाल थे .सच्चाई की कसमे आज भी लोग आपका नाम लेकर खाते है.मोकामा ऑनलाइन की और से आपको भाव भीनी क्षर्धन्जली .
(सौजन्य मिथिलेश कुमार ‘मुखिया जी)
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