बिहार।पटना।मोकामा। महावीर मंदिर पटना के स्वामित्व पर हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या का दावा बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने ख़ारिज ख़ारिज कर दिया।ज्ञात हो कि मोकामा निवासी कुमार शानू दो साल से इस मामले में महावीर मंदिर न्यास के अधिवक्ता के रूप में मंदिर का पक्ष रख रहे थे। कल अयोध्या में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अपने फैसले में बोर्ड ने लिखा है कि पटना के महावीर मन्दिर का हनुमानगढ़ी, अयोध्या से दूर-दूर तक किसी भी प्रकार का कोई संबंध न कभी था और न है। (Hanumangarhi Ayodhya’s claim on Mahavir temple rejected, Mokama’s Kumar Sanu was Mahavir’s lawyer)
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महावीर मन्दिर की स्थापना वर्ष 1900 के लगभग ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी की जमीन पर हुआ था।आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि न्यायालय ने अपने फैसले में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने महावीर मन्दिर के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन किया है। विभिन्न मुकदमों, प्रक्रिया, पत्राचार आदि के आधार पर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने यह निष्कर्ष निकाला है कि महावीर मन्दिर की स्थापना 1900 के लगभग ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी की जमीन पर की गई थी। इसकी देखरेख पुजारी के रूप में अलखिया बाबा करते थे। उनके स्वर्गवास के बाद झुलन गिरि द्वारा महावीर मन्दिर में पूजा-पाठ किया जाता रहा। उनके बाद स्थानीय लोगों द्वारा जन सहयोग से वर्ष 1938 में एक स्वयंभू न्यास समिति का गठन किया गया। कुछ अनावश्यक लोगों के अवरोध के बाद एक मुकदमे में पक्षकारों के बीच एक समझौते के तहत 9 सदस्यीय न्यास समिति का गठन किया गया। तब से लगातार न्यास समिति बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के नियंत्रण में कार्यरत है। (Hanumangarhi Ayodhya’s claim on Mahavir temple rejected, Mokama’s Kumar Sanu was Mahavir’s lawyer))
बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने अपने विस्तृत फैसले में कई महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन किया है। साथ ही महावीर कैंसर संस्थान जैसे पांच बड़े अस्पतालों के सफल संचालन और राम- रसोई, सीता रसोई जैसे अन्नक्षेत्र के लिए महावीर मन्दिर न्यास की प्रशंसा की है।न्यायालय में हनुमान गढ़ी का उल्लेख नहीं 1938 से विभिन्न न्यायालयों में महावीर मन्दिर के संबंध में दायर वादों के निष्कर्ष के आधार पर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने अपने फैसले में लिखा है कि किसी भी न्यायालय में हनुमान गढ़ी, अयोध्या का न तो उल्लेख है और न ही किसी प्रकार का कोई दावा है। ( (Hanumangarhi Ayodhya’s claim on Mahavir temple rejected, Mokama’s Kumar Sanu was Mahavir’s lawyer)
कहीं यह तथ्य सामने नहीं आया है कि उक्त दावाकृत बालानन्द जी, महावीर दास, राम सुन्दर दास या भगवान दास को हनुमान गढ़ी से महावीर मन्दिर की व्यवस्था, प्रबन्धन हेतु चयनित करके या नामित करके भेजा गया। बल्कि इसके विपरीत महावीर दास द्वारा स्वयं दाखिल वाद जो झुलन गिरि आदि के विरुद्ध दाखिल की गई थी, उसमें उनके द्वारा स्वीकार किया गया है कि यह एक सार्वजनिक मन्दिर है और रेलवे की जमीन पर बना हुआ है। ( Hanumangarhi Ayodhya’s claim on Mahavir temple rejected, Mokama’s Kumar Sanu was Mahavir’s lawyer)
अपने फैसले में बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद ने उल्लेख किया है कि महावीर मन्दिर की न्यास समिति पूरी लगन एवं ईमानदारी और जनसेवा की भावना से और पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य कर रही है। महावीर मन्दिर का दिनों-दिन विकास किया जा रहा है। महावीर मन्दिर न्यास समिति के कार्यों में पारदर्शिता को देखते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद द्वारा पटना सिटी स्थित जल्ला हनुमान मन्दिर की व्यवस्था भी अस्थाई रूप से महावीर मन्दिर न्यास समिति को दी गई है।बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने अपने फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि महावीर मन्दिर की न्यास समिति के गठन से अब तक मन्दिर की आय में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है। महावीर मन्दिर के सहयोग से सार्वजनिक लाभार्थ संस्थाएं महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, महावीर हार्ट हॉस्पीटल का संचालन कर प्रदेश के अनगिनत लोगों को सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। रामलला की प्राकट्य स्थली अयोध्या और माता सीता की प्राकट्य स्थली सीतामढ़ी में अन्नक्षेत्रों क्रमशः राम-रसोई और सीता रसोई की प्रशंसा करते हुए बिहार राज्य धार्मिक पर्षद ने लिखा है कि इन अन्नक्षेत्रों में श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जा रही है। ( Hanumangarhi Ayodhya’s claim on Mahavir temple rejected, Mokama’s Kumar Sanu was Mahavir’s lawyer)
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